धरने पर बैठे जाट आंदोलनकारियों बारे अभय चौटाला के काम रोको प्रस्ताव पर बुधवार को विस में होगी चर्चा
चंडीगढ़, 28 फरवरी: प्रदेशभर में पिछले एक महीने से धरने पर बैठे आंदोलनकारियों के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला व अन्य विधायकों द्वारा दिए गए काम रोको प्रस्ताव पर बुधवार को विधानसभा में चर्चा होगी। मंगलवार को शून्यकाल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष ने यह मुद्दा उठाया और विधानसभा अध्यक्ष से उनके द्वारा दिए गए काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा करवाए जाने की मांग की। जाट आरक्षण मामला न्यायिक प्रक्रिया में होने के कारण स्पीकर ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा करवाए जाने पर असमर्थता जताते हुए कहा कि अगर प्रस्ताव की शब्दावली में कुछ संशोधन कर दिया जाए तो सदन में इस पर चर्चा करवा ली जाएगी। शुरुआती गतिरोध के बाद सदन की कार्रवाई आधे घंटे के लिए स्थगित की गई और स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष सहित विपक्षी विधायकों को अपने चैंबर में आने का निमंत्रण दिया ताकि प्रस्ताव की शब्दावली को लेकर आपसी सहमति बनाई जा सके और इस पर चर्चा हो सके। आधे घंटे बाद जब सदन की कार्रवाई दोबारा शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को सूचित किया कि नेता प्रतिपक्ष सहित तीन सदस्यों द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए काम रोको प्रस्ताव पर बुधवार को सदन में चर्चा होगी। इससे पहले सदन में मंगलवार को शून्यकाल दौरान नेता प्रतिपक्ष ने जब ये मुद्दा उठाया उस समय मुख्यमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष ने सीएम को सदन में बुलाने और उनकी ओर से वक्तव्य दिए जाने की मांग की।
शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि हमने इस मुद्दे पर एक काम रोको प्रस्ताव दे रखा है और इस पर तुरंत चर्चा करवाई जाए। इनेलो नेता ने कहा कि प्रदेशभर में जगह-जगह हजारों लोग पिछले एक महीने से धरने पर बैठे हैं और इनमें किसी एक जाति के नहीं बल्कि 36 बिरादरी के लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन लोगों को धरने पर बैठने के लिए सरकार की तरफ से मजबूर किया गया। इनेलो नेता ने कहा कि ने कहा कि पिछले साल प्रदेश में हुए हिंसक आंदोलन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर एक बैठक हुई जिसमें आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को दस-दस लाख रुपए व नौकरी देने, दर्ज मुकदमे वापिस लेने और जेलों में बंद लोगों को छोडऩे सहित सात मांगें मंजूर की गई। आंदोलन समाप्त करवाने के लिए हुई उस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन सहित सरकार के अनेक प्रमुख प्रतिनिधि शामिल थे। सरकार द्वारा मांगें मंजूर करने के बाद उन्हें लागू न करने को लेकर उन लोगों को जून महीने में फिर धरने पर बैठने को मजबूर किया गया और जून में आश्वासन दिए जाने के बावजूद अभी तक मांगें लागू न होने के चलते उन लोगों को जगह-जगह हजारों की संख्या में धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आंदोलन को करीब एक महीना हो गया लेकिन सरकार के किसी प्रतिनिधि ने इसे सुलझाने का प्रयास नहीं किया। पिछली बार कुछ शरारती तत्वों व राजनेताओं ने प्रदेश को आग के हवाले कर दिया था। इस मामले को ज्यादा समय तक लटकाए रखने से फिर कहीं ऐसे हालात न पैदा हो जाएं, इस बात की सबको चिंता है लेकिन सरकार इस मामले में गम्भीर नहीं है। वे लोग शांतिपूर्वक धरने पर बैठे हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री या कोई मंत्री धरनास्थल पर मामला सुलझाने नहीं गया। नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि सत्तापक्ष से एक प्रतिनिधि धरने पर गया था जहां उसे विरोध सहना पड़ा। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर सदन में आकर सरकार का पक्ष रखने की भी मांग की। इनेलो नेता के अलावा कांग्रेसी विधायकों ने भी कहा कि उन्होंने भी इस मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव दे रखे हैं और पूरा प्रदेश जानना चाहता है कि सरकार की इस बारे में क्या सोच है और पिछली बार जो समझौता हुआ था वह किन बातों पर हुआ था और उसे लागू क्यों नहीं किया गया।
मामले में हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्य मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि पिछली बार जो घटनाएं घटी थी उसकी विपक्षी सदस्यों सहित सभी ने निंदा की थी और अब विपक्षी नेताओं में उन धरनों में शामिल होने को लेकर होड़ लगी हुई है। निर्दलीय विधायक जयप्रकाश ने भी चर्चा में भाग लेते हुए बाढड़ा से भाजपा विधायक के आंदोलनकारियों के धरने में शामिल होने का उल्लेख किया। विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल ने इसमें हस्तक्षेप करते हुए कहा कि मामला चूंकि न्यायिक प्रक्रिया में है, इसलिए इन प्रस्तावों में अगर संशोधन करके दोबारा प्रस्तुत किया जाता है तो जरूर चर्चा करवाई जाएगी। इसी के चलते सदन की कार्रवाई आधे घंटे के लिए स्थगित की गई और जब सदन की कार्रवाई पुन: शुरू हुई तो सदन को सूचित किया गया कि इस मुद्दे पर बुधवार को चर्चा होगी।